संत कबिरांचे दोहे - भाग ०१

जब तू जगत में आए, जग हँसे तू रोए, ऐसी करनी कर , जब तू जगत से जाए जग रोए तू हँसे!                                                  

      

संत कबीर कहते हैं कि जब तेरा इस जगत में जन्म रोते हुए हुआ तब तेरे रिश्तेदार बहुत आनंदी तथा खूश हुए थे ।

अपने जीवन में ऐसे कर्म कीजिए कि जब आप इस जगत से अलविदा हो जाऐंगे तब दुनिया रोएगी और कहेगी कि इन्सान का कार्य बहुत अच्छा था । आप के कर्म तथा कार्य के वजह से आप हँसते - हँसते जगत से अलविदा हो जाऐंगे ।

बड़ा हुआ तो क्या हुआ , जैसे पेड़ खजूर पंछी को छाया नहीं , फल लगे अति दूर                                                                   

    

संत कबीर कहते है कि खजूर का पेड़ बहुत ऊँचा होता हैं । ऊँचा होने की वजह से पंछी न घोंसला बना सकते नहीं , न उसकी छाया का आश्रय ले सकते । खजूर के पेड़ पर जो फल लगते वे भी बहुत ऊँचाई पर होते हैं ।

ऊँचाई पर फल होने के वजह से न पछी न मानव उसका स्वाद ले सकते हैं।

अर्थात आदमी कोई बडा नेता हो या अफसर यदि वह समाज के कुछ काम का नहीं है ।तो उसकी तुलना संत कबीर ने खजूर के पेड़ के साथ बताई है। 

शब्दांकन- प्रा.हरिभाऊ देविचंद आहिरे
 (श्रीरामपूर, अहमदनगर)


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